रूह में मेरी तेरी रूह का एहसास
क्षितिज के उस पार तुम
फिर भी हो दिल के पास
रूह में मेरी तेरी रूह का एहसास
ना राह एक, ना दिशा, पर लगती मन्ज़िल आसपास
सफ़र होगा आसान
नहीं रास्ता सुनसान
कट रही थी ज़िन्दगी फ़ीकी तुम लाईं भीनी मिठास
रूह में मेरी तेरी रूह का एहसास
कुछ खोज में मैं, जो मुझ में नहीं, जो है तेरे पास
ना ग़म का अब इल्म
ना सूनेपन का शुबा
बिन बोले लफ़्ज़ों को समझे एक होने का आभास
रूह में मेरी तेरी रूह का एहसास
ना मिलूँ ना देखूँ ना पाऊँ तुझे हमसफ़र
ना छू सकूँ तेरी पलकें
ना पी सकूँ तेरे होंठ
फिर भी मुक्म्मल है हमारे प्यार का विश्वास
रूह में मेरी तेरी रूह का एहसास
- संजय धवन
December 2017
2 comments:
Wonderful 👌👌
Awesomeness
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